हिमाचल के छह मंदिरों में दान किए करोड़ों रुपये प्रदेश सरकार के खजाने में, कांग्रेस कर रही विरोध

Donated six temples of Himachal treasures crores government, Congress resisted doing
हिमाचल प्रदेश के छह मंदिरों में दान किए करोड़ों रुपये को बीजेपी सरकार ने एक साथ ही अपने खजाने में डाल लिया है। इसके आलावा ये सरकार और भी कई मंदिरों के पैसों को अपने अधीन करने की तैयारी में है। मिली जानकारी के अनुसार केवल चार दिन के अंदर ही कांगड़ा जिले के बज्रेश्वरी मंदिर, ज्वालाजी, चामुंडा देवी और रामगोपाल मंदिर डमटाल के न्यासों के साथ बैठकें बुलाकर बिना बजट के ही एक-एक करोड़ रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए जारी कर दिए गए हैं। इसके साथ ही बाला बालक नाथ दियोटसिद्ध मंदिर न्यास की 17 अगस्त को बैठक बुला 31 लाख और साथ ही इसी दिन चिंतपूर्णी न्यास की बैठक में 51 लाख रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष में देने का फैसला किया गया।
सरकार के खाली हो चुके खजाने को भरने के लिए किया जा रहा ये काम
अगर सूत्रों की मान कर चलते हैं तो नयनादेवी मंदिर से भी एक करोड़ जारी करने के लिए न्यास की बैठक जल्द ही बुलाने की तैयारी हो रही है। इसके साथ ही सरकार कांगड़ा के भागसूनाग, बैजनाथ, महाकाल मंदिर न्यासों की भी जल्द बैठकें कर सीएम राहत कोष में दान के करोड़ों रुपये डालने की योजना बनाई जा रही है। जानकारी यह भी मिली है कि राजधानी शिमला और कुल्लू जिले के जो भी प्रसिद्ध मंदिर हैं, उन मंदिरों के न्यासों की भी बैठकें कर करोड़ों रुपये सीएम राहत कोष में देने की प्रक्रिया पर ज़ोर चल रहा है। अगर सचिवालय से मिले पुख्ता सूत्रों की मानें तो सरकार के खाली हो चुके खजाने को भरने के लिए ये काम किया जा रहा है। जिसके चलते सभी जिलों के अधिकारियों को मौखिक रूप से निर्देश दिए गए हैं कि अपने-अपने कार्येक्षेत्र में आने वाले मंदिरों से एक-एक करोड़ रुपये सीएम राहत कोष डालने का काम जल्द से जल्द किया जाये।
सीएम राहत कोष के लिए मंदिरों से करोड़ों देना सही नहीं : कांग्रेस सरकार
इस बात का कांग्रेस सरकार विरोध कर रही है। मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा, नयनादेवी से विधायक रामलाल ठाकुर और सुजानपुर क्षेत्र के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि बिना किसी बजट के मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए मंदिरों के खजाने से करोड़ों रुपये देना न्यायसंगत नहीं माना जायेगा। उनके अनुसार मंदिरों में चढ़ावे का पैसा मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने के लिए प्रयोग में लाया जाना चाहिए। उन पैसों से मंदिर में ही काम होना चाहिए। कांग्रेस के बयान के अनुसार मुख्यमंत्री राहत कोष में दान का पैसा डालना अनुचित है।