अस्पताल में ही दम तोड़ती दवाएं

काँगड़ा जिला के बैजनाथ में लाखों की दवाएं बिना बांटे ही अपना दम थोड़ रही है। औषधीय सामग्री के खराब होने अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य सरकार लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दावा करती है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही इनकी पोल खोलने के लिए काफी है। हालांकि राज्य के सभी अस्पतालों में कुछ दवाएं मुफ्त दी जा रही हैं, लेकिन आयुर्वेदिक अस्पताल पपरोला में ऐसा कुछ नहीं है। यहां दवाएं मरीजों को मुफ्त देने की जगह स्टोर में ही खराब हो गई।इसके बाद उन्हें खुले में फेंक दिया गया लेकिन विभागीय कर्मियों ने उन्हें समय पर अस्पताल में आने वाले मरीजों को देने की जहमत नहीं उठाई।
खुले में पड़ी हुयी है कुछ दवाएं
आयुर्वेदिक अस्पताल में, रोगियों के लिए जिस स्थान पर भोजन बनाया जाता है, वहाँ एक्सपायर दवाओं का ढेर लगा दिया गया है। दवाओं को पेटियों में बंद रखा है तो कुछ खुले में बाहर रखी गई हैं। कई दवाओं की मियाद काफी समय पहले खत्म हो चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि कुछ दवाइयां को फफूंदी लगी पाई गई हैं लेकिन अस्पताल प्रबंधन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। कार्यकाल पूरा होने के बाद, दवाओं को वेस्ट कचरे में डालकर नष्ट कर दिया जाता है।अस्पताल भवन के साथ लगते सराय भवन में भी वेस्ट मेडिकल गारबेज का ढेर लगा है और इससे चारों ओर बदबू का वातावरण बना हुआ है। बरसात के मौसम में, ये दवाएं किसी भी बीमारी को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
अधिकतर दवाएं एक्सपायर
आयुष की आपूर्ति बीएल ऑयल के आयुष विभाग द्वारा की गई है और इसका कार्यकाल 2016 में समाप्त हो गया है। आयुष अर्क पुदीना 2013 में एक्सपायर हो चुका है। परसीटोल हिमाचल सरकार की सप्लाई है और जुलाई 2019 में एक्सपायर हो चुकी है, आयुष एजी टेबलेट भी एक्सपायर हो चुकी हैं |