मलाणा गांव भारत का प्राचीन, विचित्र और रहस्य्मयी स्थान, Malana Village is an ancient, bizarre and mysterious place of India

मलाणा हिमाचल प्रदेश का एक प्राचीन गांव है जो जिला कुल्लू में स्तिथ है। यह उत्तर भारत में पार्वती नदी के किनारे स्तिथ है। मलाणा गांव अपने सबसे प्राचीन लोकतंत्र के लिए जाना जाता है। यह गांव बहुत शांत हैी यहां के निवासी भी काफी शांत सवभाव के है। यहां बहुत से ऐसे स्थान है। जिन्हे लगता है। प्रकृति ने स्वय बनाया हो। इस घाटी में चंदरखानी और देव टिब्बा की चोटियाँ दिखाई देती है। यह घाटी बहुत ही खबूसूरत दृश्य प्रदान करताी है।
मलाणा गांव की ऊंचाई समुद्रतल से (8,701 फीट) है। यह स्थान मलना नदी के किनारे एक पठार पर स्थित है। यहां के निवासी अपने रीती रिवाज़ में व्यस्त रहते है। यहां के निवासियों की जीवन शैली बहुत साधारण है। यहां के लोग अपने देवी देवता को इतना मानते है। की यहां बिना देवता की मर्जी से एक पता तक नहीं हिलता। यहां सभी महत्वपूर्ण कार्य देवता को पूछ के ही किये जाते है।
मलाणा क्रीम, Malana Cream
मलाणा अपने वृत्तचित्रों के लिए काफी चर्चा में रहा है। जिसमे ग्लोबलाइजेशन ऑफ ए हिमालयन विलेज और मलाणा ए लॉस्ट आइडेंटिटी शामिल हैं। जो बहुत ही लोकप्रिय है। यह गांव दुनिय भर में हैश प्रेमियों का लोकप्रिय स्थान रहा है। मलाणा गांव पूरी दुनिया भर में चरस या भांग के लिए जाना जाता है।कहा जाता है की इस घाटी का सामान बहुत ही असरदार होता है। जिस बजह से यह हमेशा ही पर्टयकों का आकर्षण का केंद्र रहा है। इस स्थान में हो रहे भांग और चरस के व्यापर को भारत सरकार द्वारा अवैध घोषित क्र दिया गया है। किया गया है। यहां की पार्वती वैली बहुत लोकप्रिय मानी जाती है। इसे वैली में भांग उगती है। जिसे मलाणा क्रीम कहा जाता है। यह भांग मलाणा क्रीमनाम से लोकप्रिय है। और इसे मलाना क्रीम के रूप में बेचा जाता है, जो पार्वती घाटी में उगाए गए भांग के पौधों का एक उत्पाद है।
पवित्र स्थान और विचित्र स्थान
इस गांव के लोगो की यह मान्यता है की यदि कोई पर्टयक यहां गुमने आता है और अगर उस ने उन के किसी भी धार्मिक वस्तु को छुआ या किसी भी पवित्र चीज़ को हाथ लगाया। तो अपशगुन होगा। और उन के देवी देवता नाराज हो जायँगे, इस लिए किसी भी पर्टयक को पवित्र चीजों को हाथ नहीं लगाने दिया जाता। यदि किसी ने हाथ लगा दिया तो उसे उसके लिए जुरमाना देना पड़ता है। इस गांव की और भी कई मान्यताये है। जिसे निवासी पुरे श्रद्धा के साथ पूरा करते है। यह गांव भुंतर एयरपोर्ट से मणिकर्ण के रस्ते में पड़ता है। यह भुंतर से 40 किलोमीटर की दुरी में स्तिथ है। यदि आप कभी कुल्लू आते है तो इस विचित्र गांव में आना ना भूले।