महाभारत के महायोद्धा मूल माहुंनाग जी का प्रसिद्ध मंदिर करसोग, Karsog, the famous temple of Mahayodha Mool Mahunag ji of Mahabharata

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्तिथ यह मंदिर यह मंदिर सूर्य भगवान के बेटे कर्ण मूल माहुंनाग जी समर्पित है। यह मंदिर बहुत ऐतिहासिक और लोकप्रिय है। यह प्रसिद्ध मंदिर नालदेहरा गोल्फ कोर्स के बीच में स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर के इष्टदेव लोगों के कानूनी मामलों और पारिवारिक विवादों को हल करने में सहायता करता है।
यह धार्मिक मंदिर पहाड़ी वास्तुकला की शैली को प्रदर्शित करता है। ऐतिहासिक कथा के अनुसार यह मंदिर 1664 में राजा श्याम सेन द्वारा निर्मित किया गया था। इस लिए यह बहुत ही ऐतिहासिक मंदिर माना जाता है। इन्हे कर्ण का एक प्रबल भक्त माना जाता है। इस मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की एक बड़ी संख्या हर हफ्ते रविवार को यहां आती है। इस स्थान में सालाना मेले का आयोजन किया जाता है। यह हिंदू त्योहार मकर संक्रांति के दौरान आयोजित किया जाता है।
इस मंदिर की पहाड़ी से शिकारी माता जी के दर्शन, Shikari Mata darshan from the hill of this temple
जो भक्तों की बड़ी संख्या को अपनी ओर आकर्षित करता है। करसोग के इस मंदिर को हिमालय की घाटी से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। देव बड़ेयोगी जी को माहुंनाग जी का गुरु माना जाता है। इस मंदिर में सवा किलो सोने का मेहरे है और चांदी के 8 छत्र विराजमान है। इस स्थान से दूर दूर तक बहुत सी पहाड़ियां का प्राकृतिक सौंदर्य देखा जा सकता है। इस मंदिर से शिकारी माता जी की पहाड़ियां के दर्शन भी की जा सकते है। जो एक बहुत ही धार्मिक और लोकप्रिय हिन्दुओ का पवित्र स्थल है।
मंदिर की ऐतिहासिक जानकारी, Historical information of the temple
इस धार्मिक मंदिर में स्तिथ महुनाग की उत्पत्ति यहाँ के एक गाँव शैन्दल में हुई थी। कहा जाता है की जब एक किसान खेत में हल जोत रहा था। तो अचानक उस हल एक जगह आ कर जमीन में अटक गया। किसान ने बहुत कोशिश की मगर हल बाहर नहीं निकला। जब किसान ने मिट्टी को हटा कर देखा तो उसे यह ज्ञात हुआ की एक मोहरा पत्थर की मूर्ति जमीदोज है। इसे बाहर निकालने का प्रयास हुआ मगर जैसे ही मोहरा बाहर आया तो यह वहाँ से उड़ गया और बखारी में स्थापित हो गया। तभी से यहां माहुंनाग जी का निवास हुआ।
महुनाग मंदिर आने का शी समय और दुरी, Time to visit Mahunag temple and distance
यह मंदिर शिमला से 93 किलोमीटर और करसोग से यह स्थान 35 km तथा चुराग से 14 km की दुरी पर स्तिथ है। समुद्रतल से इस स्थान की लगभग ऊंचाई 6200 फुट है। यहां आप साल में कभी भी आ सकते है। हर वर्ग के लोगो के लिए यह स्थान एक उपयुक्त स्थान माना जाता है। आप भी यदि मंडी गुमने का प्लान बना रहे है तो इस स्थान में आना ना भूले।