काँगड़ा घाटी के पालमपुर में स्तिथ माँ आशापुरी का यह अद्भुत मंदिर, Maa Ashapuri Temple – Palampur

हिमाचल प्रदेश की पवित्र और पावन भूमि देवी देवताओं का सबसे प्रिय स्थान रही है, इसी लिए हिमाचल प्रदेश को देवो की भूमि कहा जाता है। हिमाचल को शांत और सुरम्य प्रदेश माना जाता है। हिमाचल प्राकृतिक की सुंदरता और यहां के मनमोहक दृश्य यहां गुमने आये पर्टयकों को अपनी और आकर्षित करता है। हिमाचल को प्रकृति का खजाना कहा जाता है।
यहां बहुत ही रोमांचित स्थान है जिन में से बहुत से धार्मिक है और कई प्राकृतिक शायद इसी बजह से हिमाचल को विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। यहाँ का सबसे ज्यादा हिस्सा हरियाली, सुंदर झरनों उंची पर्वत श्रृंखलाओं और गहरी घाटियों से भरा हुआ है। कुछ ऐसा ही एक धार्मिक स्थान है, हिमाचल के कांगड़ा जिले में स्तिथ माँ आशापुरी जी का पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर।
कांगड़ा जिला में प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक, One of the famous Shaktipeeths in Kangra District
हिमाचल प्रदेश में बहुत से शक्तिपीठ है, यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक कांगड़ा जिला में प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक हैं। मां बज्रेश्वरी, नयना देवी, ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी, चामुंडा देवी के साथ-साथ मां आशापुरी का एक अलग और विशेष स्थान है। माँ आशापुरी जी का यह प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। हिमाचल के इस लोकप्रिय जिले में स्तिथ यह मंदिर पंचरुखी के पास चंगर की वादियों में एक पवित्र चोटी पर माँ आशापुरी विराजमान है। कहा जाता है, की जो भी भगत सच्चे मन से यहां दर्शन के लिए आता है माँ उस की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।
बेजोड़ वास्तुशिल्प और कलाकृति, Unmatched Architecture & Artwork
आशापुरी मंदिर अपनी बेजोड़ वास्तुशिल्प और कलाकृति के लिए चर्चित रहता है। इस मंदिर में श्रधालुओं का आना जाना लगा रहता है, माँ आशापुरी मंदिर एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थान है, इसी लिए यह मंदिर पुरातत्त्व विभाग की देखरेख में है। कुछ साल पहले मंदिर के आस पास बहुत कम आबादी थी। मगर इस मंदिर की लोकप्रियता और लोगो की अटूट आस्था की बजह से यहां बहुत से निवासी बस गए है। और आज मंदिर के दोनों ओर काफी संख्या में नगरी बस गई है।
महाभारत काल से संबंदित मंदिर, Temple related to Mahabharata period
यह धार्मिक स्थान कांगड़ा जिले के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। आशापुरी मंदिर उन मंदिर महाभारत काल से संबंदित मंदिर है। जो पांडवों द्वारा बनाए गए थे। जब पांडव हिमाचल प्रदेश में अज्ञातवास ( वनवास ) काट रहे थे। तब उन्होंने यहां अपने अज्ञातवास के दौरान माँ आशापुरी से लगभग 4 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ मल्ली नाम की गुफाओं में कुछ दिन बिताए थे।
पौराणिक कथा के अनुसार, according to legend
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब कर्ण पांडवों के वनवास को भंग करने के लिए मल्ली गुफाओं में पहुंचा था। बहुत ढूढ़ने के बाद तो उसे वहां पांडव नहीं मिले बल्कि माँ अस्शापुरी के दर्शन हुए और फिर कर्ण ने माँ आशापुरी की पिंडी को ढूंढा और वहां भव्य मंदिर का निर्माण करवाया जो आज के समय में माँ आशापुरी नाम से प्रसिद्ध है। उस समय उन्होंने यहां पर बहुत से धार्मिक स्थलो का निर्माण किया था। यहाँ दर्शन के लिए आये पर्टयकों को यह स्थान बहुत ही आकर्षित करता है।
माँ वैष्णों की तीन पिंडियाँ स्थापित, Three bodies of Maa Vaishnas installed
इस मंदिर की यह मान्यता है कि यहां पर एक दूध बेचने वाले को माँ वैष्णों ने स्वपन में दर्शन दिए थे। जब वो सुबह उठा और सने में दिखी गुफा के पास गया। जैसा की उसने सपने में देखा था। उस ने वैसा ही किया उसने वहां से एक पत्थर को हटाया तो उसे आगे रास्ता खुद व खुद बना हुआ था। जैसे ही वो रास्ते की और गया तो उसे वहां पर माँ वैष्णों की तीन पिंडियाँ और पत्थर से बने हुए देवी देवताो की मूर्ति मिली। इस धार्मिक स्थान से कुछ दुरी पर एक गुफा में बाबा भेड़ू नाथ के दर्शन होते हैं।
पशु की रक्षा के लिए मांगी जाती है मन्नतें, Vows are sought to protect the animal
जहां पर लोग अपने पशु की रक्षा के लिए बाबा से मन्नतें मांगते हैं। माँ आशापुरी मंदिर के आस पास बहुत ही खूबसूरत दृश्य देखने को मिलते है। यहां हरी भरी पहाड़ियों और छोटी नदियों तथा यह मंदिर छोटे झरनों आदि के बीच में बना हुआ है। इस मंदिर में दर्शन करने के बाद आप के मन को बेहद शांति और अविश्वसनीय यात्रा अनुभव देता है।
माँ आशापुरी मंदिर आने का सही समय, Best time to visit Maa Ashapuri temple
इस पवित्र और धार्मिक स्थान माँ आशापुरी मंदिर जो हिमाचल की वादियों में स्तिथ है। यहां आने के लिए सबसे समय जनवरी और मार्च के दौरान का है। अप्रैल से अक्टूबर के समय में इस मंदिर में दिन के समय मौसम गर्म होता है। और सर्दियों में यहाँ बहुत ही ज्यादा ठंड पडती है। सर्दियों के दौरान कभी-कभी तो यहाँ का पारा शून्य डिग्री से भी नीचे पहुँच जाता है।
इसलिए यहाँ आने और आराम से दर्शन करने के लिए सही समय जनवरी और मार्च महीने के बीच का है। यह मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्तिथ है जिस बजह से यहां का नजारा बहुत ही मनमोहक है। आपको ऐसे दृश्य देखने को मिलेंगे जिन्हें आपने पहले कभी नहीं देखा होगा। यहाँ आने पर स्वर्ग का अनुभव होता है। आप भी यदि हिमाचल गुमने के लिए आ रहे है तो इस स्थान में आना ना भूले।