“माँ नैना देवी” जी का धार्मिक और ऐतिहासिक मंदिर, Mata Naina Devi Temple Bilaspur, Himachal Pradesh

नैना देवी जी का यह मंदिर भारत का एक ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर है, जो कि हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। नैना देवी जी का यह प्रसुद्ध और प्रसिद्ध मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 से जुडा हुआ है। श्री नैना देवी जी का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश में सबसे उल्लेखनीय धार्मिक स्थानों में से एक है। यह लोकप्रिय मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान में माँ सती के अंग पृथ्वी पर गिरे हैं।
श्रवण और अश्विन नवरात्रों के दौरान आयोजित किया जाता है भव्य मेला A grand fair is organized during Shravan and Ashwin Navratri
इस पवित्र तीर्थ स्थान पर वर्ष भर तीर्थयात्रियों और भक्तों का मेला लगा रहता है। हर साल भरी मात्रा में सैलानी यह दर्शन के लिए आते है। श्रावण अष्टमी के दौरान और चैत्र एवं अश्विन के नवरात्रों के दौरान यहां श्रदालुओ का आना जाना बढ़ जाता है। इस मंदिर में विशेष मेला चैत्र, श्रवण और अश्विन नवरात्रों के दौरान आयोजित किया जाता है। इस मेले के दौरान भारत के बहुत से राज्यों से श्रदालु यहां दर्शन के लिए आते है। जो पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य बहुत से स्थानों से यहा आते है।
भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के अंग के किये थे 51 भाग Lord Vishnu had done 51 parts of Sati’s part from his Sudarshan Chakra.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे।उस समय भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे। उन्हें ऐसा करते देख कर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था। जिससे उनके अंग भिन्न भिन्न जगहों में गेरे और उसे स्थान में धार्मिक मंदिरो का निर्माण हो गया। मान्यताओं के अनुसार बिलासपुर के इस स्थान में माँ सती की आंखे इस स्थान गिर गई थी।
सिख गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ा यह स्थान, This place connected with Sikh
Guru Gobind Singh
इस मंदिर की एक और कहानी सिख गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ जुडी हुई भी है। जब उन्होंने मुगलों के खिलाफ अपनी सैन्य अभियान 1756 में छेड़ दिया था। गुरु गोविन्द जी ने यहां युद्ध के दौरान श्री नैना देवी गये और देवी का आशीर्वाद लेने के लिए एक महायज्ञ किया और माँ नैना देवी आशीर्वाद मिलने के बाद उन्होंने सफलतापूर्वक मुगलों को हरा दिया था। इस मंदिर में एक पीपल का पेड़ मुख्य आकषर्ण का केन्द्र है जो कि अनेको शताब्दी पुराना है।
तभी से इस स्थान में सीखो का भी आना जाना लगा रहता है। हर साल बहुत से श्रदालु पंजाब से यहां दर्शन के लिए आते है। मंदिर तक पहुँचने के लिए बस टर्मिनल से सीढ़ियों द्वारा और केबल कार द्वारा जाया जा सकता है। एक अन्य रास्ता और है जो बस टर्मिनल से कार व अन्य छोटे वाहन द्वारा मंदिर तक ले जाता है ।
मंदिर परिसर के अंदर विराजमान भगवान गणेश और हनुमान, Lord Ganesha and Hanuman seated inside the temple complex
माँ नैना के इस धार्मिक मंदिर में पीपल का पेड़ है कप यहां आये श्रदालुओ के मुख्य आकषर्ण का केन्द्र है। यह पेड़ अनेको शताब्दी पुराना है। इस मंदिर के मुख्य द्वार के दाई ओर भगवान गणेश और हनुमान कि मूर्ति है। जो श्रदालुओ को एक बहुत ही खूबसूरत दृश्य प्रदान करती है। जैसे ही आप मुख्य द्वार के पार करने के पश्चात आपको दो शेर की प्रतिमाएं दिखाई देगी। इस मंदिर परिसर के अंदर बहुत से और भी अन्य खूबसूरत और पवित्र स्थान है जो बहुत ही मनमोहित कर देने वाले है। आप भी इस मंदिर में जा के माँ के दर्शन एक बार जरूर करे। यहां के आप के मन को बेहद शांति और सकून मिलेगा।