2 महीने तक मनाया जाने वाला हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय नागनी माता मेला, Popular Nagni Mata Mela of Himachal Pradesh celebrated for 2 consecutive months

यह धार्मिक तीर्थस्थल हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में स्तिथ है। यह मंदिर काँगड़ा जिले के नूरपुर नामक स्थान में स्तिथ है। आप ने हिमाचल में मनाये जाने वाले बहुत से मेलो और त्योहारों के वारे में सुना होगा मगर आज हम आप को एक ऐसे मेले और त्यौहार के वारे में बताने जा रहे है। पुरे भारत देश में सबसे लम्बा दो महीने तक चलता है। यह मेला हर वर्ष श्रावण एवं भाद्रपद मास के प्रत्येक शनिवार को नागनी माता के मंदिर, कोढ़ी-टीका में मनाया जाता है। इस वर्ष यह मेले 22 जुलाई से 16 सितंबर तक मनाए जाता है।
बेअसर हो जाता है सर्पदंश का जहर, Snakebite poison becomes ineffective
ऐतिहासिक और पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर में इस स्थान में नाग माता नागनी जी बास है। माना जाता है की इस मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही सर्पदंश के जहर का असर ख़त्म हो जाता है। यहाँ फोड़ा,फिन्सी जैसे चरम रोगों से पीड़ित लोगों को भी राहत मिलती है। सांप के काटने पर यहाँ का पानी पीने और मंदिर परिसर कि मिट्टी लगाने से विष का असर खत्म हो जाता है। नूरपुर में स्तिथ यह मंदिर प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिर नूरपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर गांव भडवार के समीप कोढ़ी-टीका गांव में स्थित है। यहां स्तिथ नागिनी माता जी को मनसा माता का रूप माना जाता है।
ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, According to historical and mythological beliefs
इस पवित्र मंदिर के इतिहास बारे कई मान्यताये प्रचलित हैं। माना जाता है की वर्तमान माता नागनी मंदिर कालांतर में घने जंगलों से घिरा हुआ एक स्थान हुआ करता था। इस जंगल में कुष्ठ रोग से ग्रसित एक वृद्ध रहा करता था और कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए भगवान से निरंतर प्रार्थना करता था। एक दिन उस की प्राथना से खुश होकर नागनी माता के दर्शन हुए तथा उसे नाले में दूध की धारा बहती दिखाई दी। स्वप्न टूटने पर उसने दूध की धारा वास्तविक रूप में बहती देखी।
इस स्थान में मिलती है कुष्ठ रोगो से मुक्ति, This place gets relief from leprosy
जोकि वर्तमान में मंदिर के साथ बहते नाले के रूप में है। माता ने उसे जो निर्देश दिए थे उस के निर्देशानुसार उसने अपने शरीर पर मिट्टी सहित दूध का लेप किया और देकते ही देकते उस के सभी कुष्ठ रोग दूर हो गए। इसी ऐतिहासिक कथा के अनुसार एक नामी सपेरे को इस बात की जानकारी मिली और उस ने मंदिर में आकर धोखे से नागनी माता को अपने पिटारे में डालकर बंदी बना लिया।
पवित्र स्थान, Holy place
नागनी माता ने क्षेत्रीय राजा जो बहुत बहादुर और प्रसिद्ध राजा था उसे दर्शन देकर अपनी मुक्ति के लिए प्रार्थना की। राजा ने माता की आज्ञा का पालन किया और जैसे ही सपेरा कंडवाल के पास आकर रुका तो राजा ने नागनी माता को सपेरे से मुक्त करवाया। तब से इस स्थल को विषमुक्त होने की मान्यता मिली और सर्पदंश से पीडि़त लोग अपने इलाज के लिए यहां आने लगे। हर साल बहुत से श्रदालु दर्शन के लिए यहां आते है। कहा जाता है की जो भी सच्चे मन से यहां दर्शन के लिए आता है। माता उस की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।