उच्च न्यायालय ने वर्क चार्ज के तौर पर दी गई सेवाओं को पेंशन के लिए आंकने के आदेश जारी किए

हिमचाल प्रदेश में उच्च न्यायालय ने वर्क चार्ज के तौर पर दी गई सेवाओं को पेंशन के लिए आंकने के आदेश जारी किए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है की इसके अलावा न्यूनतम पेंशन के लिए कम पड़ रही सेवा के लिए दिहाड़ीदार के तौर पर दी गई 10
वर्ष की सेवा को 02 वर्ष नियमित सेवा के बराबर आंकने के आदेश पारित किए हैं। इसी के साथ बताया जा रहा है की न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने बेली राम द्वारा दायर याचिका पर पारित फैसले के दौरान यह आदेश दिए।
ग्रामीण विकास विभाग में ड्राइवर के पद पर कार्यरत था
इसी के साथ प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है की याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी, जो कि ग्रामीण विकास विभाग में ड्राइवर के पद पर कार्यरत था। इसी के
साथ बताया जा रहा है की इस कारण पेंशन देने से मना कर दिया था कि उसकी वर्क चार्ट सेवा पेंशन के लिए नहीं आंकी जाएगी।
सचिव लोक निर्माण विभाग द्वारा 25 नवंबर, 1975 को जारी पत्राचार के मुताबिक वर्क चार्ज पर दी गई
साथ ही विभाग का यह भी तर्क था कि विभाग वर्क चार्ज एस्टेब्लिशमेंट के दायरे में नहीं आता है। बताया जा रहा है की न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि सचिव लोक निर्माण विभाग
द्वारा 25 नवंबर, 1975 को जारी पत्राचार के मुताबिक वर्क चार्ज पर दी गई सेवाओं को पेंशन के लिए आंके जाने के आदेश पारित हुए किये गए हैं।
नियमितीकरण नीति के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के सभी विभाग वर्क चार्ज एस्टेब्लिशमेंट के दायरे में
इसी के साथ सर्वोच्च न्यायालय व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी अनेक मामलों में वर्क चार्ज सेवा को पेंशन के लिए आंकने के आदेश पारित कर रखे हैं। इसी के साथ
न्यायालय ने इस पर भी सहमति जताई कि नियमितीकरण नीति के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के सभी विभाग वर्क चार्ज एस्टेब्लिशमेंट के दायरे में आते हैं।
साथ ही बताया जा रहा है की न्यायालय ने यह भी पाया कि उसकी तरह कार्य करने वाले कर्मचारी को उसकी वर्क चार्ज सेवा को पेंशन के लिए आंकते हुए सभी सेवानिवृति लाभ अदा कर दिए गए।
कर्मचारियों से पेंशन जैसे लाभ के लिए भेदभाव नहीं किया जा सकता
साथ ही एक ही विभाग में कार्य करने वाले एक ही तरह के कर्मचारियों से पेंशन जैसे लाभ के लिए भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इसी के साथ उच्च न्यायालय ने विभाग के इस कृत्य को मनमाना व कानून के विपरीत करार दिया है।