कोरोना काल में हिमाचल की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही

हिमाचल प्रदेश में फैले कोरोना काल में हिमाचल की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है, इसी के साथ प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है, इसी के साथ अगले बजट के ज्यादा घाटे के रहने के आसार हैं, इसी
के साथ सरकार नई योजनाओं को भी कम कर सकती है, साथ ही विकास के हिस्से का बजट भी इससे घट सकता है, साथ ही पिछले वित्त वर्ष के सालाना बजट में भी सरकार ने विकास के बजट की हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश की थी।
केंद्र की बैसाखी और कर्ज के सहारे ही अगले वित्त वर्ष का बजट प्रबंधन किया जा सकेगा
इसी के साथ यह भी बताया जा रहा है की इस बार यह दूर-दूर तक संभव होता नजर नहीं आ रहा है, साथ ही ऐसे में इस बार भी केंद्र की बैसाखी और कर्ज के सहारे ही अगले वित्त वर्ष का बजट प्रबंधन किया जा सकेगा, इसी के
साथ ऐसे में बजट का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों, पेंशनरों के वेतन और भत्तों में ही खर्च हो जाता है, साथ ही इसके लिए सरकार को 15 से 20 हजार करोड़ से ज्यादा की जरूरत होती है।
कोरोना मामलो की बजह से जनता और सरकार दोनों ही परेशान
प्रदेश में बढ़ते कोरोना मामलो की बजह से जनता और सरकार दोनों ही परेशान है, इसी के साथ हिमाचल सरकार पर वर्तमान में करीब 60 हजार करोड़ का कर्ज है, इसी के साथ किस्तें चुकाने और ब्याज अदायगी में भी
एक हिस्सा खर्च हो जाता है, साथ ही बाकी जो बजट रहता है, उसे विकास कार्यों में खर्च किया जाता है, इसी के साथ प्रदेश के विकास के हिस्से के बजट का आकार तमाम मदों से बड़ा ही रहता है।
हर साल तय सीमा में या केंद्र से विशेष अनुमति लेकर कर्ज लेना पड़ता
साथ ही इसके लिए जितना बजट वांछित होना चाहिए, उतना प्रबंध हो नहीं पाता है, इसी के साथ हिमाचल प्रदेश सरकार को हर साल तय सीमा में या केंद्र से विशेष अनुमति लेकर कर्ज लेना पड़ता है,
साथ ही हिमाचल प्रदेश में कोरोना काल में तो यह संकट और भी बढ़ गया है, इसी के साथ प्रदेश में पास आमदनी का कोई बड़ा साधन नहीं है।
साल विकास दर गिरकर राष्ट्रीय औसत से भी काफी नीचे जा सकती
इसी के साथ पिछले साल विकास दर गिरकर राष्ट्रीय औसत से भी काफी नीचे जा सकती थी, साथ ही प्राप्त जानकारी के अनुसार इसके लिए थोड़ा-बहुत साथ सेब
बागवानी यानी प्राथमिक क्षेत्र ने ही दिया है, जिस से थोड़ा बहुत इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा विकास दर रही है।