
मंडी के स्थली पांगणा के साथ खुदाई के दौरान मिली 12वीं शताब्दी की मूर्ति
हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक जिला मंडी के स्थली पांगणा के साथ महिषासुर मर्दिनी माता देहरी मंदिर की खुदाई के दौरान सूर्य देव की अद्वितीय प्रस्तर प्रतिमा मिली है, प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है की
कला पक्ष की दृष्टि से इस मूर्ति को 12वीं शताब्दी का माना जा रहा है, साथ ही इससे पहले भी यहां खुदाई के दौरान भगवान विष्णू, शिव, देवी और अन्य अति प्राचीन मूर्तियां निकल चुकी हैं।
सूर्य भगवान की मूर्ति 12वीं शताब्दी की बताई जा रही
साथ ही मिली सुचना के द्वारा यह सूर्य भगवान की मूर्ति 12वीं शताब्दी की बताई जा रही है, साथ ही सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच के अध्यक्ष डा. हिमेंद्र बाली हिम ने जानकारी देते हुए बताया कि सतलुज
घाटी के इस क्षेत्र में सूर्य की ऐसी वैभवपूर्ण मूर्ति का मिलना पांगणा के गौरवशाली इतिहास को सुस्पष्ट करता है, यह हिमाचल का एक बहुत ही ऐतिहासिक स्थान होने के प्रमाण देता है।
कश्मीर पर कर्कोटक वंश के शासक ललितादित्य मुक्तापीठ का राज्य हुआ करता
साथ ही डा. हिमेंद्र बाली हिम का कहना है कि आठवीं शताब्दी के मध्य में कश्मीर पर कर्कोटक वंश के शासक ललितादित्य मुक्तापीठ का राज्य हुआ करता था, जिसने श्रीनगर में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर मार्तंड का निर्माण भी
करवाया था, साथ ही ललितादित्य ने रावी और सतलुज के बीच जालंधर त्रिगर्त क्षेत्र अंतर्गत इस क्षेत्र में अधिपत्य स्थापित किया था।
पांगणा में शक्ति मंदिर में सूर्य की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया गया
इसी के साथ ऐसी संभावना बताई जा रही है कि सूर्य पूजा के प्रभाव के चलते पांगणा में शक्ति मंदिर में सूर्य की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया गया है, साथ ही इस
मूर्ति की स्थापना का काल आठवीं-नौवीं शताब्दी बैठता है तथा कला की दृष्टि से यह मूर्ति काओ ममेल के मंदिरों में स्थापित प्रतिहार शैली की मूर्तियों से कम नहीं है।
12वीं से 23वीं शताब्दी में मुसलमानों के आक्रमण के कारण सूर्य पूजा में हृस हो गया था
इसी के साथ उन्होंने जानकारी देते कहा कि 12वीं से 23वीं शताब्दी में मुसलमानों के आक्रमण के कारण सूर्य पूजा में हृस हो गया था, साथ ही पुरातत्व चेतना संघ
मंडी द्वारा स्वर्गीय चंद्रमणि कश्यप राज्य पुरातत्व चेतना पुरस्कार से सम्मानित डा. जगदीश शर्मा ने कहा है कि सूर्य देव की इस मूर्ति की शोभा देखते ही बनती है।