मौसम की बेरुखी और बदली पारिस्थितिकी ने प्रदेश में भालुओं की नींद उड़ा दी

हिमाचल प्रदेश में मौसम की बेरुखी और बदली पारिस्थितिकी ने प्रदेश में भालुओं की नींद उड़ा दी है, प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है की अब भालू 03 से 04 महीने की शीत निद्रा में नहीं जा रहे हैं, इसी के साथ बल्कि मानव बस्तियों के आसपास घूमकर रहे हैं।
प्रदेश सरकार के वन्य प्राणी विंग ने यह मामला जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को भेजा
साथ ही इससे चिंतित प्रदेश सरकार के वन्य प्राणी विंग ने यह मामला जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को भेजा है, इसी के साथ अब कोलकाता स्थित यह संस्थान इस
पर अध्ययन कर इस समस्या का समाधान तलाशेगा, इसी के साथ इसमें 02 साल का वक्त लग सकता है।
हिमपात होते ही भालू गुफाओं में शीत निद्रा में 03 से 04 महीने तक सो जाते
हिमाचल प्रदेश में अब नवंबर और दिसंबर में भारी बर्फबारी नहीं होती है, पहले नवंबर में हिमपात होते ही भालू गुफाओं में शीत निद्रा में 03 से 04 महीने तक सो जाते थे, साथ ही इस दौरान इनके शरीर में जमा वसा ही इनका भोजन होता था।
कुछ वर्षों में बदले मौसम, जंगलों के घटने आदि से पारिस्थितिकी बिगड़ गई
साथ ही पिछले कुछ वर्षों में बदले मौसम, जंगलों के घटने आदि से पारिस्थितिकी बिगड़ गई है तथा भालुओं की प्रकृति में आए बदलाव का एक कारण इसे भी माना जा रहा है, साथ ही जानकारी के अनुसार कहा जा रहा है की
हालांकि, इसके तमाम तथ्य जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अध्ययन के बाद ही पता चलेंगे तथा इन दिनों भालू रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं, जिससे लोग दहशत में हैं।
अध्ययन के लिए राज्य के वन्य प्राणी विंग ने 03 संस्थानों से संपर्क किया
साथ ही कहा जा रहा है की भालुओं के इस बदले व्यवहार पर अध्ययन के लिए राज्य के वन्य प्राणी विंग ने 03 संस्थानों से संपर्क किया है, प्राप्त जानकारी के
अनुसार कहा जा रहा है की इनमें देहरादून का राष्ट्रीय प्राणी संस्थान और बंगलूरू की भी एक संस्था है, साथ ही लेकिन जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया कोलकाता इस पर
अध्ययन को तैयार हुआ है, साथ ही जल्द कोलकाता से टीम हिमाचल प्रदेश में आएगी, तथा राज्य वन्य प्राणी विंग के मुख्य अरण्यपाल मुख्यालय अनिल ठाकुर
ने जानकारी देते हुए बताया कि टीम यहां भालुओं की गिनती भी करेगी, साथ ही यह टीम भालुओं पर रिसर्च भी की जायेगी।